भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 6 फरवरी 2025 को संपन्न हुई, जो नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के कार्यभार संभालने के बाद पहली बैठक थी। इस बैठक में लिए गए निर्णयों पर सभी की निगाहें थीं, विशेष रूप से दो प्रमुख घोषणाओं पर: रेपो रेट में संभावित बदलाव और नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में संशोधन।
RBI MPC: संजय मल्होत्रा के कार्यभार संभालने के बाद पहली बैठक में इन 2 घोषणाओं पर सबकी नज़रें
RBI MPC की बैठक आज (6 जनवरी) अपने दूसरे दिन में प्रवेश कर गई, अर्थशास्त्रियों ने कहा कि MPC से इस महीने 25 बीपीएस कटौती की घोषणा करने की
रेपो रेट में बदलाव की उम्मीदें:
- https://timegurug.com/rbi-mpc-संजय-मल्होत्रा-के-कार/संजय मल्होत्रा के कार्यभार संभालने के बाद पहली बैठक में इन 2 घोषणाए
बैठक से पहले, कई अर्थशास्त्रियों और बाजार विश्लेषकों ने उम्मीद जताई थी कि MPC इस बार रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स (bps) की कटौती कर सकती है। इसकी प्रमुख वजह हाल ही में मुद्रास्फीति दर में आई कमी थी। नवंबर 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति दर घटकर 5.48% पर आ गई थी, जो अक्टूबर में 6.21% थी। खाद्य मुद्रास्फीति में भी उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई, जो 10.9% से घटकर 9.04% पर आ गई थी। इन आंकड़ों के आधार पर, विशेषज्ञों का मानना था कि RBI आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए रेपो रेट में कटौती कर सकता है।हालांकि, MPC ने रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। इसका मुख्य कारण आर्थिक स्थिरता बनाए रखना और मुद्रास्फीति के लक्षित दायरे में रहने की आवश्यकता थी। इसके अलावा, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण रुपये में उतार-चढ़ाव भी एक महत्वपूर्ण कारक रहा। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, नए गवर्नर संजय मल्होत्रा की कम हस्तक्षेप वाली मुद्रा नीति के चलते रुपये में अस्थिरता बढ़ी है, जिससे रेपो रेट में कटौती का निर्णय टाल दिया गया।
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) में संशोधन:
- दूसरी महत्वपूर्ण घोषणा के रूप में, MPC ने बैंकों के लिए नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को 4.5% से घटाकर 4% कर दिया। इस निर्णय से बैंकिंग प्रणाली में लगभग 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी, जिससे बैंकों की ऋण देने की क्षमता में वृद्धि होगी और आर्थिक संजय मल्होत्रा के कार्यभार संभालने के बाद पहली बैठक में इन 2 घोषणाए गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएँ:
इसकेhttps://timegurug.com/rbi-mpc-संजय-मल्होत्रा-के-कार/ अतिरिक्त, RBI ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए GDP वृद्धि अनुमान को 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया। मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5% से बढ़ाकर 4.8% किया गया। कृषि क्षेत्र के लिए गारंटी-मुक्त ऋण की सीमा को 1.6 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया गया। साथ ही, स्मॉल फाइनेंस बैंकों को UPI के माध्यम से प्री-अप्रूव्ड लोन सुविधा की अनुमति दी गई है।संजय मल्होत्रा के कार्यभार संभालने के बाद पहली बैठक में इन 2 घोषणाए दी गई
RBI MPC (मौद्रिक नीति समिति) क्या है?
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) वह निकाय है जो देश की मौद्रिक नीति तय करता है। इसका मुख्य कार्य रेपो रेट और अन्य प्रमुख नीतिगत दरों को तय करना होता है, जिससे महंगाई नियंत्रण, आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
MPC की संरचना और सदस्य
- MPC में कुल 6 सदस्य होते हैं:
3 सदस्य RBI से होते हैं:
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर (वर्तमान में संजय मल्होत्रा) – अध्यक्ष
RBI के डिप्टी गवर्नर (मौद्रिक नीति के प्रभारी)
RBI के केंद्रीय बोर्ड का एक अधिकारी
3 बाहरी सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं, जो अर्थशास्त्र, बैंकिंग, वित्त और मौद्रिक नीति के विशेषज्ञ होते हैं।
निष्कर्ष:
- नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में MPC की पहली बैठक में लिए गए निर्णयों ने आर्थिक स्थिरता और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया है। रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया, जबकि CRR में कटौती से बैंकिंग प्रणाली में तरलता बढ़ेगी। इन नीतिगत निर्णयों का उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करते हुए आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।https://timegurug.com/rbi-mpc-संजय-मल्होत्रा-के-कार/