court movie 2025

कहानी की झलक:
एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक, अजय शर्मा, को देशद्रोह और दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है। उनका एक लेख, जो सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है, एक बड़े विवाद का कारण बन जाता है। सरकारी पक्ष इसे “राष्ट्र-विरोधी” करार देता है, जबकि बचाव पक्ष इसे “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” की लड़ाई मानता है।
अदालत में यह मुकदमा केवल अजय शर्मा के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे न्याय तंत्र और लोकतंत्र की सच्चाई पर एक कड़ा सवाल बन जाता है। केस के दौरान नए गवाह, छिपे हुए सबूत और चौंकाने वाले रहस्य सामने आते हैं, जो न्यायपालिका और सत्ता के गहरे संबंधों को उजागर करते हैं।
क्या अजय शर्मा निर्दोष साबित होंगे, या अदालत का फैसला सत्ता के पक्ष में जाएगा?
मुख्य पात्र:
- अजय शर्मा (मुख्य आरोपी) – एक ईमानदार और निर्भीक सामाजिक कार्यकर्ता
- अद्वैत सिन्हा (बचाव पक्ष के वकील) – एक युवा और तेज़-तर्रार वकील, जो न्याय के लिए लड़ता है
- प्रोसीक्यूटर मीरा दत्त – सरकारी पक्ष की वकील, जो कानून और सत्ता की रक्षा करना चाहती है
- न्यायमूर्ति आर. के. त्रिपाठी – निष्पक्ष दिखने वाले, लेकिन दबाव में काम करने वाले जज
- सिद्धार्थ गुप्ता (पत्रकार) – जो केस की गहराई में जाकर सच्चाई सामने लाने की कोशिश करता है
फिल्म की थीम और संदेश:
- न्याय और कानून के बीच का धुंधलका
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सत्ता का दबाव
- मीडिया, न्यायपालिका और राजनीति के गठजोड़ की पड़ताल
- एक आम आदमी की लड़ाई बनाम व्यवस्था
संवाद (डायलॉग्स) का नमूना:
1. “सवाल सिर्फ मेरी गिरफ्तारी का नहीं है, सवाल ये है कि कल आपकी आवाज़ बंद करने की बारी कब आएगी?” – अजय शर्मा
2. “कानून किताबों में नहीं, अदालत के गलियारों में लिखा जाता है।” – अद्वैत सिन्हा
3. “जब न्याय में राजनीति मिल जाती है, तो फैसले अदालत में नहीं, बंद कमरों में लिखे जाते हैं।” – सिद्धार्थ गुप्ता
निर्माण और निर्देशन:
यह फिल्म एक गंभीर, तीव्र और विचारोत्तेजक कोर्टरूम ड्रामा होगी, जिसमें सस्पेंस और इमोशन का मिश्रण होगा। सिनेमेटोग्राफी गहरे रंगों और क्लोज़-अप शॉट्स पर आधारित होगी, ताकि किरदारों की भावनाएं दर्शकों तक पहुंच सकें। बैकग्राउंड स्कोर धीमी लेकिन प्रभावशाली धुनों से भरा होगा, जो माहौल को और भी रहस्यमय बनाएगा।
संभावित निष्कर्ष:
फिल्म का अंत दर्शकों की सोच पर छोड़ दिया जाएगा – क्या न्याय हुआ? क्या व्यवस्था ने सच में हार मानी? या फिर यह लड़ाई कभी खत्म नहीं होती?
“COURT (2025)” केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि न्याय और लोकतंत्र पर एक ज़रूरी सवाल है।
सीन 1: रात का सन्नाटा, मर्डर सीन
(स्क्रीन पर एक अंधेरी, सुनसान गली दिखाई देती है। हल्की बारिश हो रही है। स्ट्रीट लाइट की पीली रोशनी में एक महंगी कार खड़ी है। कैमरा धीरे-धीरे कार की ओर बढ़ता है। कार का दरवाजा खुला हुआ है, और अंदर एक व्यक्ति की लाश पड़ी है – अजय खन्ना, एक प्रसिद्ध बिजनेसमैन। उसके सफेद शर्ट पर खून के छींटे हैं। हाथ से मोबाइल गिरा हुआ है, जिसकी स्क्रीन अब भी जल रही है।)
(पुलिस सायरन की आवाज़ पास आती है। कुछ पुलिस अधिकारी तेजी से घटनास्थल की ओर बढ़ते हैं। इंस्पेक्टर अरविंद त्यागी कार के पास जाकर लाश की जांच करता है।)
इंस्पेक्टर त्यागी: (गंभीर स्वर में) “अजय खन्ना… शहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन… और अब एक लाश!”
(एक सब-इंस्पेक्टर पास खड़े पुलिस कांस्टेबल से)
सब-इंस्पेक्टर: “चश्मदीद गवाह?”
कांस्टेबल: “जी सर, एक आदमी ने फोन किया था। कह रहा था कि उसने किसी को भागते हुए देखा है।”
(इसी बीच एक पुलिस अधिकारी सबूत इकट्ठा कर रहा होता है। वह एक खून से सना हुआ चाकू उठाता है, जिस पर उंगलियों के निशान साफ दिख रहे हैं। पास में ही फुटपाथ पर एक बैनर गिरा पड़ा है – “जनता की आवाज़ दबाई नहीं जा सकती!” – जिस पर सामाजिक कार्यकर्ता रवि वर्मा का नाम छपा हुआ है।)
इंस्पेक्टर त्यागी: (बैनर उठाकर देखता है) “रवि वर्मा…! अब हमें यह लड़का चाहिए, जिंदा या मुर्दा!”
सीन 2: गिरफ्तारी
(कट टू – एक छोटे से कमरे में, जहां एक युवा व्यक्ति – रवि वर्मा – किताबों और अखबारों से घिरा हुआ बैठा है। वह एक इंटरव्यू देख रहा है, जिसमें अजय खन्ना हाल ही में किए गए एक सरकारी सौदे का बचाव कर रहा है।)
(अचानक, दरवाजा ज़ोर से खुलता है। पुलिस अंदर घुसती है।)
रवि (चौंककर खड़ा होता है): “यह क्या बदतमीज़ी है?”
इंस्पेक्टर त्यागी: (गंभीर स्वर में) “तुम्हें अजय खन्ना की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है!”
(रवि हक्का-बक्का रह जाता है।)
रवि: “क्या?! आप मजाक कर रहे हैं? मैंने कुछ नहीं किया!”
कांस्टेबल: (गुस्से में) “सबूत तुम्हारे खिलाफ हैं, ज्यादा मत बोलो!”
(रवि को हथकड़ी पहनाई जाती है। कैमरा धीरे-धीरे ज़ूम आउट होता है। रवि की आँखों में गुस्सा और बेबसी झलक रही है। बैकग्राउंड में न्यूज चैनल की आवाज़ सुनाई देती है – “प्रसिद्ध बिजनेसमैन अजय खन्ना की हत्या में सामाजिक कार्यकर्ता रवि वर्मा की गिरफ्तारी, क्या यही है असली न्याय?” )
(ब्लैकआउट – स्क्रीन पर फिल्म का नाम उभरता है: “COURT”)https://timegurug.com/court movie 2025 – Breacking news/
(सरकारी वकील अनिरुद्ध मेहरा अपने स्थान से उठते हैं। वे 50 साल के अनुभवी वकील हैं, जिनका हर शब्द वजनदार और तीखा होता है। वे आत्मविश्वास से आगे बढ़ते हैं और जज की ओर देखते हैं।)
अनिरुद्ध मेहरा: “माइ लॉर्ड, यह कोई साधारण हत्या नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश है! आरोपी रवि वर्मा, जो खुद को सामाजिक कार्यकर्ता कहता है, दरअसल एक ऐसा व्यक्ति है, जिसने अपने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के नाम पर कानून अपने हाथ में लिया।”
(वे जूरी और दर्शकों की ओर घूमते हैं।)
अनिरुद्ध मेहरा: “प्रसिद्ध उद्योगपति अजय खन्ना, जो कई सरकारी प्रोजेक्ट्स में शामिल थे, उनकी हत्या एक राजनीतिक संदेश देने के लिए की गई। हमारे पास चश्मदीद गवाह हैं, फिंगरप्रिंट प्रूफ हैं, और सबसे अहम – आरोपी के इरादे हैं!”
(वे जज की ओर मुड़ते हैं।)
अनिरुद्ध मेहरा: “माइ लॉर्ड, यह हत्या भ्रष्टाचार उजागर करने के नाम पर हुई, लेकिन सच यह है कि यह अपराध एक बदले की भावना से किया गया। रवि वर्मा खुद को नायक साबित करना चाहता था, और इसीलिए उसने अजय खन्ना को मौत के घाट उतार दिया!”
(वे संतुष्ट भाव से बैठ जाते हैं। रवि गुस्से से मेहरा को घूरता है, लेकिन संजना उसे शांत रहने का इशारा करती हैं।)
सीन 5: बचाव पक्ष की प्रतिक्रिया
(संजना कपूर धीरे-धीरे उठती हैं। वे 35 वर्षीय तेज़ दिमाग वाली, ईमानदार वकील हैं, जिनकी नजरों में जुनून झलकता है। वे पूरे कोर्टरूम में नजर घुमाती हैं, फिर जज की ओर देखती हैं।)
संजना कपूर: “माइ लॉर्ड, अभियोजन पक्ष ने अपनी कहानी बड़े नाटकीय ढंग से पेश की, लेकिन क्या हमारे पास ठोस सबूत हैं?”
(वे जूरी की ओर देखते हुए कदम बढ़ाती हैं।)
संजना कपूर: “रवि वर्मा – एक ऐसा व्यक्ति जिसने हमेशा सत्य और न्याय की लड़ाई लड़ी, जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाई, उसे इस हत्याकांड का अपराधी बना देना आसान है। लेकिन क्या यह न्याय होगा?”
(वे टेबल से कुछ दस्तावेज उठाकर दिखाती हैं।)
संजना कपूर: “अजय खन्ना की हत्या के वक्त रवि वर्मा कहां था? क्या उसके खिलाफ पेश किए गए सबूत वास्तविक हैं या गढ़े गए हैं? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल – क्या अजय खन्ना के दुश्मन सिर्फ रवि वर्मा ही थे?”
(कोर्टरूम में हलचल मच जाती है। जज मेज़ पर हथौड़ा मारते हैं।)
न्यायमूर्ति त्रिपाठी: “आर्डर! आर्डर!”
संजना कपूर: (गंभीर स्वर में) “माइ लॉर्ड, बचाव पक्ष यह साबित करेगा कि रवि वर्मा निर्दोष है और यह मामला महज़ एक राजनीतिक साजिश है!”
(कैमरा रवि के चेहरे पर जाता है – उसकी आँखों में उम्मीद की चमक दिखती है।)
(सीन फेड आउट – कोर्टरूम ड्रामा की असली जंग अब शुरू होती है!)
सीन 6: अभियोजन पक्ष की गवाही
(कोर्टरूम में तनाव का माहौल है। दर्शक दीर्घा में मीडियाकर्मी, आम जनता और रवि वर्मा के समर्थक मौजूद हैं। सरकारी वकील अनिरुद्ध मेहरा आत्मविश्वास के साथ खड़े होते हैं। उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान है, मानो उन्हें यकीन हो कि आज का दिन उनके पक्ष में रहेगा।)
अनिरुद्ध मेहरा: “माइ लॉर्ड, अभियोजन पक्ष अपने पहले गवाह को पेश करना चाहता है – विनोद शर्मा!”
(एक दुबला-पतला, घबराया हुआ आदमी कटघरे में आता है। वह इधर-उधर देखता है, फिर मेहरा की ओर देखता है। जज की अनुमति मिलने के बाद, मेहरा सवाल पूछना शुरू करते हैं।)
अनिरुद्ध मेहरा: “मिस्टर शर्मा, कृपया अदालत को बताइए कि उस रात आपने क्या देखा?”
(विनोद शर्मा गहरी सांस लेता है, फिर बोलता है।)
विनोद शर्मा: “सर, मैं उसी इलाके में एक दुकान चलाता हूँ। उस रात मैंने एक आदमी को भागते हुए देखा था… और… वो रवि वर्मा था!”
(कोर्ट में हलचल मच जाती है। रवि चौंककर संजना कपूर की ओर देखता है। मीडिया रिपोर्टर अपने नोट्स बना रहे हैं। संजना धीरे-धीरे उठती हैं।)
संजना कपूर: “माइ लॉर्ड, मुझे गवाह से जिरह करने की अनुमति दी जाए।”
(जज सिर हिलाते हैं। संजना विनोद शर्मा के करीब जाती हैं और गहरी नजरों से उसे देखती हैं।)
संजना कपूर: “मिस्टर शर्मा, आप कह रहे हैं कि आपने रवि वर्मा को भागते हुए देखा। लेकिन क्या आप बता सकते हैं कि वहाँ रोशनी कैसी थी?”
विनोद शर्मा: (थोड़ा घबराकर) “जी… वहाँ बस स्ट्रीट लाइट थी, लेकिन… लेकिन मैंने उसे पहचान लिया था!”
संजना कपूर: (मुस्कुराकर) “क्या आपको पता है कि स्ट्रीट लाइट उस रात खराब थी?”
(कोर्ट में खुसुर-फुसुर शुरू हो जाती है। संजना एक रिपोर्ट उठाती हैं और जज को दिखाती हैं।)
संजना कपूर: “माइ लॉर्ड, यह नगर निगम की रिपोर्ट है, जिसमें साफ लिखा है कि उस रात इलाके की स्ट्रीट लाइट खराब थी। यानी गवाह ने जो देखा, वह संदेहास्पद है!”
(विनोद शर्मा बुरी तरह हड़बड़ा जाता है। अनिरुद्ध मेहरा गुस्से में अपने नोट्स देखने लगते हैं।)
सीन 7: सबूतों पर सवाल
(अगला दिन। कोर्ट में बचाव पक्ष अपने तर्क पेश करता है। संजना कपूर अपनी टीम के साथ खड़ी होती हैं।)
संजना कपूर: “माइ लॉर्ड, अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि हत्या का हथियार रवि वर्मा के फिंगरप्रिंट्स के साथ मिला था। लेकिन फोरेंसिक रिपोर्ट कुछ और कहती है!”
(वे एक डॉक्युमेंट कोर्ट में पेश करती हैं।)
संजना कपूर: “फोरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार, चाकू पर मौजूद फिंगरप्रिंट्स जानबूझकर लगाए गए हैं, जिससे यह साबित होता है कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है!”
(कोर्ट में सन्नाटा छा जाता है। अनिरुद्ध मेहरा अचानक उठते हैं।)
अनिरुद्ध मेहरा: “माइ लॉर्ड, यह सिर्फ एक थ्योरी है! बचाव पक्ष कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर रहा!”
संजना कपूर: (मुस्कुराकर) “तो फिर ये सीसीटीवी फुटेज देखिए, जो उस रात की असली कहानी बताता है!”
(संजना एक पेन ड्राइव कोर्ट असिस्टेंट को देती हैं। स्क्रीन पर वीडियो चलता है। फुटेज में दिखता है कि रवि हत्या के वक्त एक कैफे में बैठा हुआ था। यह देखकर कोर्ट में हलचल मच जाती है!)
सीन 8: मीडिया ट्रायल
(कोर्ट के बाहर न्यूज चैनल्स का जमावड़ा है। रिपोर्टर लगातार अपनी रिपोर्ट दे रहे हैं।)
टीवी रिपोर्टर: “नए सबूतों के बाद केस ने नया मोड़ ले लिया है! क्या रवि वर्मा फंसाया जा रहा है?”
(वहीं दूसरी ओर, कुछ न्यूज चैनल सरकार के पक्ष में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।)
दूसरा रिपोर्टर: “सरकारी वकील का दावा है कि रवि वर्मा अभी भी संदेह के घेरे में है। क्या यह सीसीटीवी फुटेज हेरफेर किया गया है?”
(रवि वर्मा की समर्थकों की भीड़ कोर्ट के बाहर नारेबाजी कर रही है – “न्याय चाहिए! न्याय चाहिए!”)
(कट टू – कोर्टरूम में, जहां जज गंभीर मुद्रा में बैठे हैं। अब सच्चाई की परतें खुलने लगी हैं, लेकिन क्या न्याय होगा? या राजनीति इस केस को और उलझा देगी?)
(सीन फेड आउट – अगली सुनवाई के लिए कोर्ट की तारीख तय होती है। कहानी और भी रोमांचक मोड़ लेने वाली है!)
रहस्य खुलते हैं (Twists & Turns)
सीन 9: छुपे हुए दस्तावेज़
(रात का समय। संजना कपूर अपने ऑफिस में बैठी हैं। चारों तरफ फाइलें बिखरी हुई हैं। वह एक पुराना सरकारी दस्तावेज़ पढ़ रही हैं, जिसमें अजय खन्ना की कंपनी के कई गैरकानूनी सौदों का ज़िक्र है। उनके माथे पर शिकन गहरी हो जाती है।)
संजना (बुदबुदाते हुए): “तो यह केस सिर्फ हत्या का नहीं, बल्कि कुछ बड़ा छुपाने की साजिश है!”
(वह जल्दी से फोन उठाती हैं और अपने असिस्टेंट अमित को कॉल करती हैं।)
संजना: “अमित, मुझे अजय खन्ना की कंपनी की सभी डील्स की जानकारी चाहिए, खासकर पिछले दो सालों की। और एक चीज़ और – पता करो कि इन सौदों में किन नेताओं का हाथ था!”
अमित: “ठीक है मैम, मैं तुरंत लग जाता हूँ!”
(संजना फोन रखते ही अपनी टेबल पर रखी तस्वीर देखती हैं – तस्वीर में रवि वर्मा एक गरीब बस्ती में बच्चों को पढ़ा रहा है। उनकी आँखों में संकल्प झलकता है।)
सीन 10: विनोद शर्मा का सच
(अगले दिन। कोर्ट की सुनवाई जारी है। विनोद शर्मा गवाही देने आता है, लेकिन इस बार उसके चेहरे पर अजीब-सी घबराहट है। संजना इसे भांप जाती हैं।)
संजना कपूर: “मिस्टर शर्मा, क्या आप एक बार फिर से अदालत को बताना चाहेंगे कि आपने उस रात क्या देखा?”
(विनोद शर्मा पसीना पोंछता है और गला खंखारता है।)
विनोद शर्मा: “मैंने… मैंने रवि वर्मा को वहाँ देखा था…”
संजना कपूर: (तीखी नजरों से देखते हुए) “सच बोलने का यही सही वक्त है, मिस्टर शर्मा। आपको किसी ने मजबूर किया था, है ना?”
(विनोद शर्मा की आँखें चौड़ी हो जाती हैं। कोर्टरूम में सन्नाटा छा जाता है।)
विनोद शर्मा: (आवाज़ काँपती है) “हाँ… मुझे धमकी दी गई थी! मुझे कहा गया था कि अगर मैंने रवि के खिलाफ गवाही नहीं दी, तो मेरे परिवार को मार दिया जाएगा!”
(कोर्टरूम में हड़कंप मच जाता है। न्यायाधीश हथौड़ा बजाते हैं। मीडिया रिपोर्टर तेजी से नोट्स बना रहे हैं।)
अनिरुद्ध मेहरा: (गुस्से से उठते हुए) “माइ लॉर्ड, यह गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने की बचाव पक्ष की एक चाल हो सकती है!”
संजना कपूर: “माइ लॉर्ड, यह चाल नहीं, सच्चाई है। और हमारे पास इसका सबूत है!”
(वह एक वीडियो फुटेज कोर्ट में चलाने का अनुरोध करती हैं। वीडियो में एक व्यक्ति विनोद शर्मा को धमकाते हुए दिखता है – वह व्यक्ति अजय खन्ना की ही कंपनी का एक बड़ा अधिकारी है!)
संजना कपूर: “अब बताइए, मेहरा साहब, यह क्या है?”
(अनिरुद्ध मेहरा निरुत्तर हो जाते हैं। कोर्टरूम में हलचल मच जाती है।)
सीन 11: षड्यंत्र का पर्दाफाश
(संजना कपूर कोर्ट में एक नई फाइल पेश करती हैं।)
संजना कपूर: “माइ लॉर्ड, यह गुप्त दस्तावेज़ इस केस को पूरी तरह से बदल सकता है। इसमें अजय खन्ना की कंपनी के उन सौदों का ज़िक्र है, जो गैरकानूनी तरीके से किए गए थे। और सबसे चौंकाने वाली बात – इन सौदों में एक बड़े राजनेता का नाम भी शामिल है!”
(कोर्ट में फुसफुसाहट शुरू हो जाती है। संजना एक नाम पढ़ती हैं।)
संजना कपूर: “यह नाम है – मंत्री सुरेश पाटिल।”
(कोर्ट में हंगामा मच जाता है। मंत्री सुरेश पाटिल सरकार में एक बड़ा पद संभाल रहे थे, और अब उनका नाम इस केस से जुड़ गया था।)
अनिरुद्ध मेहरा: “यह असंभव है! आप इस केस को राजनीति से जोड़ने की कोशिश कर रही हैं!”
संजना कपूर: “नहीं, मेहरा साहब, मैं सच्चाई सामने लाने की कोशिश कर रही हूँ! यह केस सिर्फ एक हत्या का नहीं, बल्कि एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है!”
(रवि वर्मा, जो अब तक चुप था, भावुक होकर संजना की ओर देखता है। उसकी आँखों में उम्मीद की किरण चमकती है।)
(जज हथौड़ा बजाते हैं।)
न्यायमूर्ति त्रिपाठी: “कोर्ट अब इस नए सबूत की जांच करेगा। अगली सुनवाई में यह तय किया जाएगा कि रवि वर्मा को दोषी ठहराया जाए या नहीं।”
(कोर्ट की कार्यवाही समाप्त होती है। बाहर मीडिया रिपोर्टर ब्रेकिंग न्यूज चला रहे हैं।)
टीवी रिपोर्टर: “यह केस अब सिर्फ एक हत्या का नहीं, बल्कि राजनीति और भ्रष्टाचार से जुड़े एक बड़े षड्यंत्र का रूप ले चुका है! क्या रवि वर्मा को न्याय मिलेगा? अगली सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी!”
(सीन फेड आउट – अब सच्चाई सामने आने ही वाली है, लेकिन क्या सत्ता के लोग इसे दबा पाएंगे?)
सीन 12: अंतिम सुनवाई
(कोर्टरूम पूरी तरह से भरा हुआ है। मीडिया, जनता, और राजनीतिक हस्तियां सभी मौजूद हैं। जज गंभीर मुद्रा में बैठे हैं। सरकारी वकील अनिरुद्ध मेहरा आखिरी कोशिश में जुटे हैं, जबकि बचाव पक्ष की वकील संजना कपूर आत्मविश्वास से भरी हुई हैं।)
न्यायमूर्ति त्रिपाठी: “यह अदालत अंतिम सुनवाई शुरू करने जा रही है। बचाव पक्ष को अंतिम दलील पेश करने की अनुमति दी जाती है।”
(संजना खड़ी होती हैं। उनके हाथ में एक पेन ड्राइव है।)
संजना कपूर: “माइ लॉर्ड, मैं इस केस में सबसे अहम सबूत पेश करना चाहती हूँ – एक ऑडियो रिकॉर्डिंग!”
(कोर्टरूम में हलचल मच जाती है। संजना अदालत सहायक को पेन ड्राइव सौंपती हैं, और स्क्रीन पर ऑडियो चलाया जाता है।)
ऑडियो में:
“रवि को फंसा दो, हमें कोई सबूत नहीं छोड़ना है! अगर सच्चाई बाहर आई, तो हम सब खत्म हो जाएंगे!”
(आवाजें साफ सुनाई देती हैं। यह आवाजें किसी और की नहीं, बल्कि मंत्री सुरेश पाटिल और अजय खन्ना के बिजनेस पार्टनर विक्रम सहाय की हैं।)
कोर्ट में हड़कंप मच जाता है!
(अनिरुद्ध मेहरा हक्का-बक्का रह जाते हैं। मंत्री सुरेश पाटिल और विक्रम सहाय के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं। जज हथौड़ा बजाते हैं।)
न्यायमूर्ति त्रिपाठी: “कोर्ट में शांति बनाए रखें!”
(सुरेश पाटिल गुस्से में खड़े होते हैं।)
सुरेश पाटिल: “यह झूठ है! यह सब मनगढ़ंत है!”
संजना कपूर: “माइ लॉर्ड, यह ऑडियो रिकॉर्डिंग पुलिस की जांच में असली पाई गई है। और इससे यह साफ साबित होता है कि असली गुनहगार यही लोग हैं!”
(जज गहरी सांस लेते हैं और फैसला सुनाने के लिए तैयार होते हैं।)
न्यायमूर्ति त्रिपाठी:
“इस अदालत ने सभी सबूतों और गवाहों के बयानों को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाया है। रवि वर्मा को सभी आरोपों से मुक्त किया जाता है!”
(रवि की आँखों में आँसू आ जाते हैं। जनता और मीडिया में खुशी की लहर दौड़ जाती है।)
न्यायमूर्ति त्रिपाठी:
“मंत्री सुरेश पाटिल और विक्रम सहाय को हत्या की साजिश रचने, सबूतों से छेड़छाड़ करने और झूठी गवाही दिलवाने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा दी जाती है!”
(पुलिस मंत्री सुरेश पाटिल और विक्रम सहाय को गिरफ्तार कर लेती है। कोर्ट में तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती है!)
VI. निष्कर्ष (Conclusion)
(कोर्ट के बाहर रवि वर्मा को लोगों ने घेर लिया है। कैमरे की फ्लैश लाइट चमक रही है। पत्रकार लगातार सवाल पूछ रहे हैं।)
टीवी रिपोर्टर: “रवि जी, आपको न्याय मिल गया, अब आगे क्या करने का इरादा है?”
(रवि वर्मा एक गहरी सांस लेते हैं। उनके चेहरे पर संतोष है, लेकिन उनकी आँखों में एक नया संकल्प झलकता है।)
रवि वर्मा: “न्याय मुझे मिला है, लेकिन इस देश में कई और निर्दोष लोग अब भी न्याय के लिए लड़ रहे हैं। यह लड़ाई सिर्फ अदालतों में नहीं, बल्कि समाज में भी जारी रहनी चाहिए।”
(संजना कपूर मुस्कुराती हैं। मीडिया की रिपोर्टिंग तेज हो जाती है।)
टीवी रिपोर्टर: “क्या यह केस न्याय प्रणाली के लिए एक मिसाल बनेगा? क्या समाज अब सत्ता के गलत इस्तेमाल के खिलाफ आवाज उठाएगा?”
(फिल्म के अंत में रवि वर्मा कोर्ट की सीढ़ियों से नीचे उतरते हैं। कैमरा उनकी दृढ़ चाल पर फोकस करता है। बैकग्राउंड में उनका शक्तिशाली संवाद सुनाई देता है।)
रवि वर्मा (वॉयसओवर में):
“न्याय सिर्फ अदालतों में नहीं, लोगों के विचारों में भी होना चाहिए!”
(कैमरा धीरे-धीरे ऊपर जाता है, जहां आसमान में सूरज उग रहा है – एक नए सवेरे का प्रतीक।)