शेयर बाज़ार में भारी गिरावट, सेंसेक्स 1100 अंक गिरा तो निफ़्टी भी लड़खड़ाया
शेयर बाज़ार में भारी गिरावट, सेंसेक्स 1100 अंक गिरा तो निफ़्टी भी लड़खड़ाया
शेयर बाजार में आज भारी गिरावट देखने को मिली। वैश्विक स्तर पर बढ़ते तनाव, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और घरेलू मोर्चे पर मिलेजुले संकेतों के चलते सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में जोरदार गिरावट दर्ज की गई। कारोबार के दौरान सेंसेक्स 1100 अंकों तक लुढ़क गया, जबकि निफ्टी भी करीब 300 अंक तक कमजोर हो गया।
किन कारणों से गिरा बाजार?
- वैश्विक संकेत कमजोर: अमेरिका, यूरोप और एशियाई बाजारों में बिकवाली का माहौल बना हुआ है, जिसका असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ा।
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली: एफआईआई यानी विदेशी संस्थागत निवेशक लगातार भारतीय बाजार में बिकवाली कर रहे हैं, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ रहा है।
- जियोपॉलिटिकल टेंशन: वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से निवेशकों की धारणा कमजोर हुई है।
- मुद्रास्फीति और ब्याज दरें: महंगाई दर बढ़ने और ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी की आशंका ने भी बाजार को कमजोर किया है।
सेंसेक्स और निफ्टी की स्थिति
- सेंसेक्स: दिनभर के उतार-चढ़ाव के बाद सेंसेक्स 1100 अंक गिरकर बंद हुआ। बैंकिंग, आईटी, मेटल और ऑटो सेक्टर में सबसे ज्यादा दबाव देखने को मिला।
- निफ्टी: निफ्टी 300 अंक की गिरावट के साथ 21,600 के स्तर के करीब बंद हुआ। अधिकांश प्रमुख सेक्टर लाल निशान में रहे।
इन शेयरों में रही सबसे ज्यादा गिरावट
- आईटी सेक्टर: इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो में 2% से 4% तक की गिरावट।
- बैंकिंग सेक्टर: एसबीआई, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में भी जोरदार बिकवाली।
- मेटल शेयर: टाटा स्टील, हिंडाल्को और जेएसडब्ल्यू स्टील में भारी दबाव।
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बैंकिंग सेक्टर:
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आज के सत्र में बैंक निफ्टी करीब 700 अंकों की भारी गिरावट के साथ बंद हुआ।
- प्राइवेट बैंक: HDFC Bank, ICICI Bank और Kotak Mahindra Bank जैसी दिग्गज निजी बैंकों के शेयरों में तेज गिरावट देखने को मिली।
- पब्लिक सेक्टर बैंक: SBI, Bank of Baroda और PNB जैसे सरकारी बैंकों के शेयरों में भी लगातार दबाव बना रहा।
- ब्याज दरों में संभावित स्थिरता और कॉर्पोरेट लोन ग्रोथ में सुस्ती की आशंका से पूरे बैंकिंग सेक्टर में बिकवाली का माहौल दिखा।
- विदेशी निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली ने भी बैंकिंग सेक्टर पर दबाव बढ़ाया।
आईटी सेक्टर:
आईटी शेयरों पर आज सबसे ज्यादा दबाव दिखा।
- वैश्विक संकेत कमजोर: अमेरिकी बाजारों में तकनीकी शेयरों में भारी गिरावट का असर भारतीय आईटी कंपनियों पर भी साफ नजर आया।
- कंपनियों का प्रदर्शन:
- Infosys: 3% तक की गिरावट
- TCS: करीब 2% की कमजोरी
- HCL Tech और Wipro: दोनों में 2% से ज्यादा की गिरावट
- डॉलर रेवेन्यू पर असर: डॉलर में अस्थिरता और अमेरिकी क्लाइंट्स की ओर से खर्च में कटौती की आशंका से आईटी सेक्टर पर दबाव बना हुआ है।
ऑटो सेक्टर:
ऑटो कंपनियों के शेयरों में भी आज कमजोर प्रदर्शन देखने को मिला।
- डिमांड कंसर्न: ग्रामीण इलाकों से मांग कमजोर रहने और इनपुट कॉस्ट बढ़ने की वजह से ऑटो सेक्टर दबाव में रहा।
- स्टॉक्स का हाल:
- Maruti Suzuki: 1.5% की गिरावट
- Tata Motors: 2% तक कमजोरी
- Mahindra & Mahindra: हल्की गिरावट के साथ बंद
- EV सेगमेंट में भी निवेशकों का उत्साह थोड़ा ठंडा पड़ा।
मेटल सेक्टर:
मेटल शेयरों में भी आज बड़ी बिकवाली दर्ज की गई।
- वैश्विक मंदी की आशंका: चीन और यूरोप से कमजोर डिमांड आउटलुक की वजह से मेटल शेयरों पर दबाव बना रहा।
- स्टॉक्स का प्रदर्शन:
- Tata Steel: 3% की गिरावट
- JSW Steel: 2.5% तक फिसला
- Hindalco: 2% की कमजोरी
- बेस मेटल्स की कीमतों में नरमी का असर मेटल कंपनियों की कमाई पर पड़ने की आशंका है।
एफएमसीजी सेक्टर:
एफएमसीजी शेयरों ने आज की गिरावट में कुछ हद तक सहारा देने की कोशिश की, लेकिन अंत में यह भी हल्की कमजोरी के साथ बंद हुए।
- डिफेंसिव प्ले: बाजार में भारी गिरावट के बीच निवेशकों ने सुरक्षित दांव के तौर पर कुछ FMCG स्टॉक्स में निवेश किया, जिससे शुरुआत में थोड़ा सपोर्ट मिला।
- स्टॉक्स का हाल:
- HUL: हल्की गिरावट
- ITC: मामूली मजबूती के बाद फ्लैट बंद
- Dabur और Nestle: 0.5% से 1% तक की हल्की गिरावट
- महंगे वैल्यूएशन: लंबे समय से चले आ रहे महंगे वैल्यूएशन की वजह से एफएमसीजी शेयरों में नई खरीदारी सुस्त रही।
अन्य सेक्टरों का प्रदर्शन:
- फार्मा: मिलाजुला प्रदर्शन, कुछ दवा कंपनियों में हल्की खरीदारी देखने को मिली।
- रियल एस्टेट: ब्याज दरों पर अनिश्चितता से रियल एस्टेट शेयरों में भी दबाव बना।
- पावर और एनर्जी: कुछ पावर कंपनियों में मजबूती दिखी, लेकिन पूरे सेक्टर में ठहराव का माहौल रहा।
कुल मिलाकर बाज़ार का हाल:
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- सेंसेक्स करीब 1100 अंक गिरकर बंद हुआ।
- निफ्टी करीब 350 अंक टूटकर बंद।
- FII की भारी बिकवाली, वैश्विक अस्थिरता और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की कमजोर खरीदारी ने पूरे बाजार पर दबाव बनाए रखा।
विश्लेषकों की राय:
- शॉर्ट टर्म में बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।
- सेक्टोरल रोटेशन देखने को मिल सकता है, जहां डिफेंसिव सेक्टर (FMCG, फार्मा) में थोड़ी स्थिरता और बैंकिंग-आईटी जैसे हाई बीटा सेक्टर में और दबाव आ सकता है।
- लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए यह गिरावट अच्छे स्टॉक्स में खरीदारी का मौका हो सकती है।
निवेशकों के लिए सलाह
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा गिरावट लंबी अवधि के निवेशकों के लिए खरीदारी का मौका हो सकती है, लेकिन शॉर्ट टर्म में बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है। निवेशकों को सावधानी बरतने और किसी भी निवेश से पहले रिसर्च करने की सलाह दी जा रही है।
नज़र रखें इन फैक्टर्स पर
- वैश्विक बाजारों की चाल
- क्रूड ऑयल की कीमतें
- डॉलर और रुपए की स्थिति
- घरेलू आर्थिक आंकड़े
- कंपनियों के तिमाही नतीजे
बिलकुल, आइये इस खबर को और विस्तार से समझते हैं:
खराब ग्लोबल संकेतों का दबाव
हाल ही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Fed) की बैठक के बाद यह संकेत मिले कि ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची बनी रह सकती हैं। इसके अलावा यूरोप और चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर भी चिंता बढ़ रही है। इन सभी कारकों ने वैश्विक बाजारों में भारी दबाव बनाया, जिसका सीधा असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिखा।
अमेरिकी बाजारों में बीते हफ्ते लगातार गिरावट देखने को मिली थी। डॉव जोंस, नैस्डैक और एसएंडपी 500 सभी में कमजोरी रही, जिसका असर सोमवार को एशियाई बाजारों पर भी पड़ा। जापान, हांगकांग और दक्षिण कोरिया के बाजार लाल निशान में खुले और यही नकारात्मकता भारतीय बाजार तक आ गई।
बड़े निवेशकों की बिकवाली ने बढ़ाया दबाव
विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) पिछले कुछ हफ्तों से लगातार बिकवाली कर रहे हैं। जनवरी और फरवरी में एफआईआई ने भारतीय शेयर बाजार से हजारों करोड़ रुपये निकाले हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है कि उन्हें अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बेहतर रिटर्न दिख रहा है, जिससे भारतीय बाजार उनके लिए फिलहाल कम आकर्षक हो गया है।
घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) भी इस बिकवाली को थामने में नाकाम रहे, क्योंकि घरेलू फंड्स ने भी हाल के समय में सतर्क रुख अपनाया है। यही कारण है कि बाजार पर दोतरफा दबाव बना रहा।
छोटी और मझोली कंपनियों पर भारी मार
सिर्फ लार्ज कैप ही नहीं, बल्कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स में 2% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। छोटे और मझोले निवेशकों का भरोसा इस गिरावट में खासा हिला है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में इन शेयरों में जबरदस्त तेजी आई थी और अब मुनाफावसूली ने इन्हें भारी नुकसान पहुंचाया है।
सेक्टोरल प्रदर्शन पर नज़र
- बैंकिंग सेक्टर: लगातार बिकवाली की वजह से बैंक निफ्टी करीब 700 अंक फिसल गया। प्राइवेट और पब्लिक दोनों बैंकों में दबाव दिखा।
- आईटी सेक्टर: कमजोर वैश्विक संकेतों के चलते आईटी कंपनियों के शेयरों में बिकवाली हावी रही। इंफोसिस, टीसीएस और एचसीएल टेक सभी लाल निशान में बंद हुए।
- ऑटो सेक्टर: कमजोर मांग और ऊंची लागत के चलते ऑटो शेयरों में भी गिरावट देखने को मिली।
- मेटल सेक्टर: वैश्विक मंदी की आशंका ने मेटल शेयरों पर दबाव बना दिया।
- एफएमसीजी सेक्टर: इस गिरावट में एफएमसीजी शेयरों ने कुछ हद तक सहारा दिया, लेकिन अंत में यह भी हल्की गिरावट के साथ बंद हुए।
निवेशकों में घबराहट
बाजार की इस तेज गिरावट ने खासतौर पर उन निवेशकों को चिंता में डाल दिया है, जिन्होंने हाल ही में रिकॉर्ड ऊंचाई पर निवेश किया था। सेंसेक्स और निफ्टी जनवरी में अपने ऑल-टाइम हाई पर थे, जिसके बाद अब अचानक इतनी बड़ी गिरावट ने छोटे निवेशकों को नुकसान में डाल दिया है।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे वक्त में घबराने की जरूरत नहीं है। अगर आपने मजबूत कंपनियों में निवेश किया है और आपका नजरिया लंबी अवधि का है, तो इस गिरावट को एक मौके के तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि, शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।
आगे की रणनीति क्या हो?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ दिनों तक बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है। निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि हर गिरावट के बाद एक रिकवरी आती है, लेकिन यह रिकवरी कब शुरू होगी, यह पूरी तरह ग्लोबल संकेतों और घरेलू आर्थिक स्थिति पर निर्भर करेगा।
- लंबी अवधि के निवेशक: हर गिरावट में धीरे-धीरे अच्छी कंपनियों में निवेश बढ़ा सकते हैं।
- शॉर्ट टर्म निवेशक: स्टॉपलॉस लगाकर ट्रेडिंग करें और बड़े रिस्क लेने से बचें।
- नए निवेशक: पहले बाजार को स्थिर होने दें और उसके बाद ही किसी नए निवेश पर विचार करें।
आने वाले दिनों पर नज़र
- अमेरिका में महंगाई और ब्याज दरों पर नए संकेत।
- कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव।
- घरेलू जीडीपी और महंगाई के आंकड़े।
- कंपनियों के तिमाही नतीजे।
- वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाएं।